रणजी ट्रॉफी में 600+ विकेट लेने वाले एकलौते गेंदबाज़ का हुआ निधन
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में राजिंदर गोयल के नाम हैं 750 विकेट, फिर भी भारत के लिए खेलने का नहीं मिला मौका

भारत में बाएं हाथ का एक ऐसा स्पिनर भी हुआ है जिसके बारे में दिग्गजों की राय है कि उन्हें भारतीय टीम में होना चाहिए था. रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सर्वाधिक 637 और घरेलू क्रिकेट में कुल 750 से ज्यादा विकेट लेने के बावजूद उन्हें कभी टीम इंडिया में खेलने का मौका नहीं मिला. ऐसे महान स्पिनर अब हमारे बीच नहीं रहे. रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले राजिंदर गोयल का रविवार को बीमारी के बाद निधन हो गया. वे 77 साल के थे. राजिंदर गोयल की मौत पर भारतीय क्रिकेट बोर्ड समेत कई खिलाड़ियों ने शोक संवेदना प्रकट की.

गोयल ने 1958-59 में सर्विसेज़ के ख़िलाफ़ पटियाला से अपने रणजी करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने पटियाला के अलावा पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के लिए रणजी खेला. राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने के बावजूद राजिंदर गोयल 44 साल की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे. गोयल को इस बात का मलाल जरूर रहा कि उन्हें भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन वे इसे किस्मत का खेल ही मानते थे. दरअसल, उस दौर में भारतीय टीम में इरापल्ली प्रसन्ना, एस. वेंकटराघवन, बी. चन्द्रशेखर और बिशन सिंह बेदी की चौकड़ी टीम में शामिल थी. ऐसे में गोयल को, बेदी (जो खुद बाएं हाथ के स्पिनर थे) का स्थान मिलना मुश्किल था. खुद बेदी भी इसे किस्मत का ही खेल मानते हैं कि उन्हें टीम में जगह मिली और गोयल को नहीं.

राजिंदर गोयल के मुरीदों में सुनील गावस्कर का नाम भी शामिल है. सुनील गावस्कर अपनी किताब ‘आइडल्स’ में लिखा, ‘मेरा मानना है कि चयनकर्ताओं ने राजेंदर गोयल को इसलिए नहीं खिलाया क्योंकि अगर उन्होंने कुछ विकेट ले लिए होते तो कम से कम कुछ समय के लिए बिशन बेदी की टीम में वापसी मुश्किल हो जाती और ये उनके लिए परेशानी का सबब होता.’

गोयल को एक बार भारतीय टीम में 1974-75 में वेस्ट इंडीज़ के भारत दौरे के समय चुना गया था. उस समय बेंगलौर टेस्ट में बिशन बेदी को अनुशास्नात्मक कार्रवाई के तहत भारतीय टीम से बाहर किया हुआ था. लेकिन बेदी की जगह शामिल किए गए गोयल को अंतिम एकादश में नहीं चुना गया था. अगर उन्हें उस मैच में मौका मिल गया होता तो क्या पता वो आज किन रिकार्ड्स को अपने नाम किए होते?

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