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दीपा कर्माकर : जिसकी हार में भी जीत छिपी थी

साल 2016 था, जगह थी रियो द जेनेरो (Rio de Janeiro) और आयोजन था खेलों के सबसे बड़े महाकुम्भ ‘ओलंपिक’ (Olympics) का. रियो ओलंपिक (Rio Olympic) में यूँ तो तमाम स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ी पदक की दावेदारी पेश कर रहे थे लेकिन जिस खेल ने भारतीयों की उत्सुकता बढ़ा रखी थी; वो था जिम्नास्टिक्स (Gymnastics). […]

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1983 वर्ल्ड कप: ‘अंडरडॉग’ से ‘वर्ल्ड चैंपियन’ ऐसे बना भारत

वेस्ट इंडीज का आखिरी विकेट गिरते ही भारतीय टीम के तमाम खिलाड़ियों को पवेलियन की ओर भागते हुए वाला विजुअल आज भी हमारे ज़हन में ताज़ा है. लॉर्ड्स के मैदान पर ‘अंडरडॉग’ मानी जाने वाली भारतीय टीम ने सबसे बड़ा उल्टफेर कर दिया था. वो टीम जिसे सब कमतर आंक रहे थे, अब विश्व चैम्पियन

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अपने 100वें मैच से पहले सुनील छेत्री को क्यों करनी पड़ी थी भावुक अपील ?
4 जून 2018 को छेत्री ने केन्या के खिलाफ लगाई थी अपने मैचों की सेंचुरी

‘कैप्टन फैंटास्टिक’ के नाम से मशहूर भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने आज ही के दिन अपने करियर का 100वां अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था. 100वां अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले छेत्री, बाईचुंग भूटिया के बाद दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं. 4 जून 2018 को छेत्री ने केन्या के खिलाफ अपने मैचों की सेंचुरी लगाई थी.

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4 जून 2018 को छेत्री ने केन्या के खिलाफ लगाई थी अपने मैचों की सेंचुरी
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वॉर्न की वो गेंद, जिसे ‘बॉल ऑफ द सेंचुरी’ के नाम से जाना जाता है

तारीख थी 4 जून 1993. एशेज श्रृंखला का पहला टेस्ट मैच मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जा रहा था. टेस्ट मैच का दूसरा दिन था. ऑस्ट्रेलियाई स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न अपनी पहली एशेज श्रृंखला खेल रहे थे. वॉर्न गेंदबाजी के लिए आए. धीमे रनअप के बाद वार्न ने अपने दाहिने हाथ को ऊपर की

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द ग्रेट गामा: भारत का वो पहलवान, जिसने हारना नहीं सीखा था

साल 1890 की बात है. जोधपुर के राजा के यहाँ पहलवानों का जमघट लगा हुआ था. दूर-दूर से पहलवान अपनी ताक़त की नुमाइश दिखाने और बड़ा इनाम पाने की हसरत लिए जोधपुर आए थे. इन्हीं पहलवानों के बीच एक 12 साल के पहलवान ने भी दस्तक दी. नाम था ग़ुलाम मुहम्मद बख्श बट (Ghulam Mohammad

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सचिन, लारा, विराट, स्मिथ नहीं, ये हैं क्रिकेट की असली ‘रन मशीन’
25 फरवरी 2001 को 92 वर्ष की आयु में सर डोनाल्ड जार्ज ब्रैडमैन ने ली थी अंतिम सांस

टेस्ट क्रिकेट के रिकॉर्डों की जब-जब बात होती है, तब-तब एक नाम बार-बार सामने आ जाता है. वो नाम है सर डॉन ब्रैडमैन का. टेस्ट क्रिकेट के वो असली डॉन थे. ऑस्ट्रेलियाई टीम से खेलने वाले दुनिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन टेस्ट क्रिकेट में 99.94 की औसत के लिए ही नहीं जाने जाते बल्कि

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21 साल पहले कुंबले ने बनाया था ‘परफेक्ट 10’ का रिकॉर्ड
पाकिस्तान के सभी 10 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा कुंबले ने अनोखे रिकॉर्ड की बराबरी की थी

ये किस्सा थोड़ा पुराना है लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज ऐसा किस्सा है जिसपर हर भारतीय गर्व करता है. साल था 1999 और तारीख 7 फरवरी. इस तारिख से पहले बहुत कम लोगों को ही जिम लेकर का नाम पता था. लेकिन 7 फरवरी के बाद ना सिर्फ जिम बल्कि भारतीय दिग्गज स्पिनर अनिल

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गौरवान्वित करती है, खेत से बाहर निकल ट्रैक एंड फील्ड पर ‘सोना’ उगलने वाली ‘गोल्डन गर्ल’ की कहानी

“मंजिल उन्हें मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है” ‘ढिंग एक्सप्रेस’ हिमा दास पर यह शेर सटीक बैठता है. वर्ना किसने सोचा था कि असम राज्य के नागांव जिले के कस्बे ‘ढिंग’ में एक गरीब किसान परिवार के घर पैदा हुई हिमा, दुनिया में

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इस एक खिलाड़ी के जुनून ने बदली भारतीय क्रिकेट की तकदीर और तस्वीर

अगर किसी से वो एक घटना पूछी जाए कि क्रिकेट कैसे भारत की क्रिकेट गली-गली, कूंचों-कूंचों तक पहुंचा, तो सभी एक स्वर में कहेंगे भारतीय टीम का 1983 वर्ल्ड कप जीतना. लॉर्ड्स की बालकनी में अगर कपिल देव वर्ल्ड कप ट्रॉफी ना उठाते तो शायद ही भारत में क्रिकेट इतना फलता-फूलता. हॉकी के पतन और

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एमएस धोनी : बेमिसाल 15 साल

23 दिसंबर, 2004 यह वो तारीख है जब भारतीय क्रिकेट में एक सितारे का उदय हुआ था. मध्यम कद काठी, हंसमुख चेहरा (खेलते समय भावशून्य) और लम्बे बाल वाले इस लड़के के बारे में उस समय यह कोई नहीं कह सका था कि यह लड़का भारतीय क्रिकेट का भविष्य है. किसी ने भी उससे इतनी

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गीता फोगाट: रेसलिंग रिंग की शेरनी

भारत देश में अभी भी बेटे की चाहत रखने वालों की कमी नहीं हैं. बेटियों को पराया धन मानने वालों को हरियाणा के महावीर सिंह फोगाट ने आइना दिखाया और अपनी बेटियों को एक ऐसे खेल की तरफ प्रेरित किया जिसे मर्दों का खेल समझा जाता था. कुश्ती, एक ऐसा ही खेलहै, जो गांव-देहातों में

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“भारतीय फुटबॉल के लिए भगवान का तोहफा”

एक किसान परिवार का बेटा जिसके पिता को उसके खेलने से ऐतराज़ रहा हो. स्कूल के शुरूआती दिनों में वो बैडमिंटन, बास्केटबॉल और ऐथलेटिक्स का खिलाड़ी रहा हो. तो सोचिए वो बच्चा बड़े होकर क्या बनेगा ? लेकिन सिक्किम के इस खिलाड़ी ने अपने खेल से लोगों के मन में ऐसी छाप छोड़ी की उसे

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